by shriji | Apr 4, 2021 | Online Books
आज बिरज में होरी रे रसिया ।। उतते आये कुँवर कन्हैया, इतते राधा गोरी रे रसिया । उड़त गुलाल अबीर कुमकुमा, केशर गागर ढोरी रे रसिया । बाजत ताल मृदंग बांसुरी, और नगारे की जोरी रे रसिया । कृष्णजीवन लच्छीराम के प्रभु सौं, फगुवा लियौ भर झोरी रे रसिया । सजनी भागन ते फागुन आयो,...
by shriji | Apr 4, 2021 | Online Books
नमामि ब्रजोद्धारकम् तर्कोऽप्रतिष्ठः श्रुतयो विभिन्ना, नासावृषिर्यस्यमतं न भिन्नम् । धर्मस्य तत्त्वं निहितं गुहायां, महाजनो येन गतः स पन्थाः ॥ (महाजन वन पर्व ३/१३/११७) न श्रुतियों में मतैक्य है, न स्मृतियों में ही । मुनियों के मत में भी ऐक्य कहाँ ? धर्म का तत्व...