आंदोलनकारी साधु संतों व ब्रजवासियों ने भगवान आदिबद्रीनाथ से राजस्थान के मुख्यमंत्री के दीर्घायु होने की करी प्रार्थना; कहा ब्रजभूमि व ब्रज के पर्वतों के संरक्षण से मिलेगा पूर्ण सौभाग्य आरोग्य
आंदोलनकारियों ने आंदोलन के आगामी कार्यक्रमों को लेकर की महत्वपूर्ण बैठक; तैयारियों को लेकर बनाई गई पुख्ता रणनीति
8000 से अधिक हुए आंदोलन के सक्रिय सदस्य; ब्रज के 65 से अधिक गांवों में पहुंचा आंदोलन का सक्रिय सदस्यता अभियान
आज कनकाचल एवं आदिबद्री पर्वत पर हो रहे विनाशकारी खनन के विरुद्ध जारी धरने के 225 वे दिन आंदोलनकारियों द्वारा जिला प्रशासन एवं सरकार को पुनः एक बार स्पष्ट संदेश दिया गया की हर बार वह सरकारी अधिकारी अथवा सरकार के प्रतिनिधियों पर भरोसा कर अपने संघर्ष को कमजोर नहीं करेंगे इसलिए इस बार वादा अनुसार सरकार के साथ निर्णायक वार्ता करवा आदिबद्री व कनकाचल पर्वत के रक्षण का मार्ग प्रशस्त किया जाए । उपरोक्त विचार मान मंदिर के संत नरसिंह दास ने पसोपा धरना स्थल पर हुई आम सभा में रखें साथ ही उन्होंने समस्त आंदोलनकारियों व समिति की ओर से राजस्थान के मुख्यमंत्री के दीर्घायु होने की एवं शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्ति के लिए प्रार्थना भगवान आदिबद्री नाथ के चरणों में करी व अविश्वास व्यक्त किया कि अगर उनके द्वारा ब्रजभूमि, ब्रज संस्कृति, ब्रज की पौराणिक संपदा एवं ब्रज के अति दिव्य पर्वतों का संरक्षण होता है तो वह निश्चित ही पूर्ण सौभाग्य आरोग्य के भागी होंगे एवं इसका अनंत पुण्य लाभ उन्हें प्राप्त होगा। बैठक में आगामी 31 अगस्त को प्रारंभ होने वाली भागवत कथा की तैयारियों का जायजा लिया गया साथ ही 3 सितम्बर को होने वाले गौ रक्षा सम्मेलन एवं 6 सितंबर को होने वाले कार्यकर्ता अधिवेशन व 9 सितम्बर को होने वाले संत समागम के बारे में भी रणनीति तैयार की गई। आगामी भागवत कथा के बारे में जानकारी देते हुए महंत शिवराम दास ने बताया कि इस अनुष्ठानात्मक ज्ञान यज्ञ की कथा वाचिका मान मंदिर की प्रसिद्ध कथा प्रवक्ता साध्वी गौरी होंगी वह साथ ही बाल साध्वी मधुबनी द्वारा प्रासंगिक प्रवचन भी दिया जाएगा एवं इसी के साथ साध्वी तुंगविद्या एवं साध्वी प्रतीक्षा द्वारा ब्रज के पारंपरिक भजन एवं रसियाओं का गान भी किया जाएगा । उन्हें कहा कि साधु संतों के पास भगवान के कथा कीर्तन एवं उनके नाम ले अलावा और कोई साधन नहीं है एवं वे सतत इसी का आश्रय को लेकर सभी प्रकार के संकल्पों को पूरा करने में लगे रहते हैं। संरक्षण समिति के संरक्षक राधाकांत शास्त्री ने कहा कि इन सब आयोजनों के माध्यम से सरकार को स्पष्ट संदेश की बृजवासी साधु संत इस आंदोलन के आंदोलनकारी किसी भी स्थिति में जब तक दोनों पर वक्त सुरक्षित व संरक्षित नहीं हो जाते हैं तब तक आंदोलन जारी रहेगा एवं उत्तरोत्तर बढ़ता ही जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि राजस्थान विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी के द्वारा यह संदेश पहुंचा है कि मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य की प्रतिकूलता को देखते हुए रक्षाबंधन के बाद प्रस्तावित बैठक को कुछ दिनों के लिए स्थगित किया जा रहा है लेकिन अतिशीघ्र जैसा कि वादा किया गया था सरकार से निर्णायक बात की जाएगी एवं ब्रज के दोनों पर्वतों के संरक्षण का मार्ग सुनिश्चित किया जाएगा।
वहीं आज नदबई के ग्राम में आयोजित विशाल सभा में संरक्षण समिति के संरक्षक पूर्व विधायक गोपी गुर्जर ने समाज के हजारों लोगों को संबोधित करते हुए ब्रज के पर्वतों पर हो रही विनाशकारी खनन की जानकारी दी वह साथ ही आपील करी कि नदबई जोकि प्राचीन गाथाओं में नंदराय जी के गांव से जानी जाती है व ब्रज संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है, के अंतर्गत आने वाले सभी गांव के ग्रामवासियों को एकजुट होकर ब्रज के पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को खनन मुक्त कराने हेतु अपनी आवाज बुलंद करनी होगी व साथ ही बड़ी संख्या में ब्रजभूमि की सेवा के इस आंदोलन में सक्रिय सदस्यता ले कर सनातन संस्कृति का रक्षण का कार्य करके अपने धर्म का पालन करना होगा । इस पर उपस्थित अपार जनसमूह ने एक स्वर में ब्रज के दोनों पर्वतों के संरक्षण हेतु हर संभव संघर्ष करने के लिए वचनबद्धता दिखाइए। उनके साथ इस अवसर पर हरिबोल बाबा, महंत शिवरामदास, नित्यहरी दास आदि उपस्थित रहे ।
इधर सक्रिय सदस्यता अभियान के तहत 8000 से अधिक सक्रिय सदस्यों को अभी तक आंदोलन से जोड़ा जा चुका है व 65 से अधिक गांवों में आंदोलन के सक्रिय सदस्य बनाए जा चुके हैं। यह जानकारी अभियान के समन्वयक ब्रजकिशोर बाबा ने दी । उन्होंने बताया कि आज ही ग्राम शीशवाडा, नाहरौली, जनुथर, मरौली, बड़ा नाहरौली, आदि गांवों में भारी संख्या में सदस्यों को आंदोलन से जोड़ा गया है।
इसके साथ ही आज 20 वे दिन भी आंदोलनकारियों का क्रमिक अनशन जारी रहा। आज गोरांग बाबा, गोविन्द, कृष्ण चैतन्य, हनुमान बाबा व नारायण दास क्रमिक अनशन पर बैठे।
पसोपा धरना स्थल पर हुई बैठक में स्थानीय ग्रामवासियों व साधु-संतों के अलावा प्रमुख रूप से सरपंच सुल्तान सिंह बरसाना शरण बाबा, कृष्ण दास बाबा, भूरा बाबा एवं मुकेश शर्मा उपस्थित रहे।