साधुओं के आमरण अनशन को हुए 48 घंटे; सरकार ने अब तक नहीं ली कोई खबर

आमरण अनशन पर बैठे साधुओं के लिए प्रारंभ किया गया कथा कीर्तन; सैकड़ों ग्रामवासी हुए सम्मिलित

आमरण अनशन पर बैठे दो और साधु; आमरण अनशन पर बैठे एक भी साधु की क्षति हुई तो होगा बहुत व्यापक एवं उग्र आंदोलन; सरकार को झेलना पड़ेगा प्रदेश की जनता का भारी रोष- आंदोलनकारी

आज आदि बद्री व कनकाचल को खनन मुक्त कराने के लिए जारी धरने के 204 वे दिन धरना स्थल पर आमरण अनशन पर बैठे साधुओं को देखने के लिए आसपास के ग्रामीणों का ताता लगा रहा है । आसपास के सैकड़ों गांवों के ग्रामवासी धरना स्थल पर पहुंचे व अनशन पर बैठे साधुओं के दर्शन कर अत्यंत आहत हुए व एक स्वर में सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार की इस प्रकार की संवेदनहीनता किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आज भी दो साधु , अजयदास व प्रकाशदास आमरण अनशन पर हट करके बैठे । अब कुल 14 साधु आदिबद्री व कनकाचल पर्वत को खनन मुक्त कराने के लिए आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए महन्त शिवराम दास ने कहा कि कुछ वेश धारी पाखंडी साधु लोग इस पवित्र आंदोलन को बदनाम करने के लिए अनर्गल बयान दे रहे हैं । उन्होंने कहा कि ब्रज के पर्वतों को बचाने की इस मुहिम से भारतवर्ष ही नहीं विश्व भर के संत लोग जुड़े हुए हैं जो संत इसका विरोध कर रहे हैं वे साधु कहलाने योग्य नहीं है ।

वे सिर्फ खनन माफियाओं के प्रभाव में आकर अपनी ब्रजभूमि का सौदा करने के लिए तैयार हो गए हैं। ऐसे साधु वेश धारियों का संपूर्ण समाज को बहिष्कार करना चाहिए और किसी भी स्थिति में इनको कहीं भी प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए । हम अतिशीघ्र ही एक बड़ा संत सम्मेलन बुलाकर इन सभी साधु वेशधारी पाखंडी बाबाओं को जो ब्रज के परम आराध्य पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को तोड़ने के पक्ष में हैं, उन सभी का बहिष्कार करवा कर और समाज से बाहर करवाएंगे। वही आमरण अनशन पर बैठे संत हनुमान दास जी ने राजस्थान सरकार को संदेश देते हुए कहा की ब्रज के यह पर्वत और पर्यावरण साक्षात कृष्ण हैं व इनकी उपासना ही हमारे जीवन का धर्म है । अगर यह ब्रज के पर्वत हमारे समक्ष टूट रहे हैं तो हमें जीने का कोई अधिकार नहीं है। राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री यह बात सुनले कि वह अगर साधुओं को पीड़ा देंगे तो इसका दुष्परिणाम उनको अवश्य भुगतना होगा । इधर ग्राम वासियों व साधु संतों की उपस्थिति में आमरण अनशन पर बैठे 12 साधुओं के लिए सभी ने कीर्तन व कथा का कार्यक्रम प्रारंभ किया।

कथा वाचन करते हुए संत बरसाना शरण एवं साध्वी मधुबनी ने ब्रज एवं ब्रज के पर्वतों को ही साक्षात कृष्ण का रूप बताया और कहा कि इनकी सेवा ही भगवान राधा कृष्ण की सच्ची सेवा है। इसी के साथ उपस्थित ग्रामीण महिलाओं ने ब्रज के पारंपरिक गीतों का गान किया व उपस्थित साधुओं ने आमरण अनशन पर बैठे साधुओं के सेवार्थ अखंड कीर्तन का क्रम प्रारंभ किया । संरक्षण समिति के संरक्षक राधा कांत शास्त्री ने पुनः राजस्थान के मुख्यमंत्री से निवेदन करते हुए अपील करी है कि वह साधु-संतों व ग्रामीणों की न्यायोचित मांग को जिसके लिए वह लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं व कई बड़े आंदोलन का प्रदर्शन कर चुके है, कनकाचल व आदिबद्री पर्वत को खनन मुक्त कर उनकी परम संवैधानिक व गंभीर मांग को मान कर और साधु-संतों व स्थानीय ग्रामीणों इस संघर्ष को विराम दिलवाएं व उनकी पीड़ा का अंत करें अन्यथा इन सब का रोष उनके लिए बड़ा भारी पड़ेगा । इस अवसर पर सैकड़ों ग्राम वासियों और साधु-संतों के अलावा से मान मंदिर के व्रजदास, ब्रज किशोर दास, गौरांग बाबा, कृष्ण चैतन्य बाबा, हरि बोल बाबा, सरपंच सुल्तान सिंह, हरि चैतन्य बाबा, गोपाल बाबा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।