ब्रज के पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को खनन मुक्त कराने के लिए विगत 202 दिनों से जारी धरने का रूप हुआ उग्र
11 साधु ब्रज के पर्वतों की रक्षा के लिए बैठे आमरण अनशन पर
ग्रामीणों व ब्रज वासियों ने सरकार के विरुद्ध भारी रोष; कहा तुरंत दोनों पर्वत को करें खनन मुक्त अन्यथा अत्यंत गंभीर परिणाम भुगतने होंगे राजस्थान के मुख्यमंत्री को
अभी तो ली अंगड़ाई है, आगे बहुत लड़ाई है – पसोपा के ग्रामीण
आज पसोपा में विगत 202 दिन से जारी कनकाचल व आदिबद्री पर्वत को खनन मुक्त करने की मांग को लेकर बैठे साधु-संतों व ग्रामीणों का आंदोलन उग्र हुआ । भारी जन समुदाय के बीच आज 11 साधु ब्रज के दोनों पर्वतों को पूर्णतया खनन मुक्त करने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे। उनके नाम इस प्रकार हैं संत विजय दास, हनुमान बाबा, गीता चैतन्य, संत नारायण चैतन्य, गोविंद शरण, संत दीनदयाल, मोनी बाबा, पसोपा के चन्नी भगत, संत नारायण दास, छोटे विजय दास बाबा एवं निवृत्ति बाबा । इस अवसर पर भारी संख्या में साधु संत, स्थानीय ग्रामीण, बृजवासी व अलग-अलग प्रांतों से आए भक्त गण उपस्थित रहे। उपस्थित जन समुदाय में वर्तमान कांग्रेस सरकार के खिलाफ भारी रोष दिखाई दिया। साथ ही उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर राजस्थान के मुख्यमंत्री ने अविलंब कनकाचलच व आदिबद्री पर्वत को खनन मुक्त नहीं किया और साधु-संतों की न्यायोचित मांगों को नहीं माना तो इसके अत्यंत प्रतिकूल परिणाम वर्तमान सरकार को भुगतने होंगे।
इस अवसर पर सैकड़ों गांव की सरदारी ने हुंकार भरते हुए ब्रज के पहाड़ों की रक्षा के चल रहे इस आंदोलन को पूर्ण समर्थन प्रदान किया वह कहा कि साधुओं का जीवन ब्रजवासियों के लिए उनके प्राणों से प्यारा है व किसी भी स्थिति में यह बर्दाश्त नहीं करेंगे कि कोई भी साधु आमरण अनशन के दौरान गंभीर रूप से अस्वस्थ हो और अगर ऐसा हुआ तो पूरे ब्रजक्षेत्र में इसके बड़े गंभीर परिणाम होंगे ।आज सुबह से ही धरना स्थल पर अलग-अलग गांव से ग्राम वासियों का आना जारी रहा। भारी संख्या में धरना स्थल पर सैकड़ों गांवों से ग्रामवासी साधु संत कृष्ण भक्त उपस्थित रहे । धरना स्थल पर ब्रज के पारंपरिक गीत व भजनों का कार्यक्रम चलता रहा जिस पर साधु-संत व ग्रामीणों थिरकते दिखाई दिए । उपस्थित सभी जन समुदाय ने एक आवाज में ब्रज के पर्वतों को खनन मुक्त करने के लिए प्रण लिया । आज डीग के पसोपा धरना स्थल पर हुई विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए संरक्षण समिति के संरक्षक राधाकांत शास्त्री ने घोषणा करी कि अभी तक हम ने सिर्फ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर विश्वास के चलते इस आंदोलन को उग्र नहीं होने दिया लेकिन अब धैर्य की सारी सीमाएं टूट चुकी हैं और आज इन 11 साधुओं के आमरण अनशन पर बैठने से ब्रज के पर्वतों की लड़ाई में एक नया अध्याय शुरू हो रहा है एवं इसी के साथ अब हमने आर-पार की लड़ाई का बिगुल बजा दिया है।
आज से प्रतिदिन 10 साधु संत अथवा ग्रामवासी आमरण पर बैठेंगे और जब तक सरकार द्वारा दोनों पर्वतों को संरक्षित नहीं किया जाता है तब तक है क्रम चलता रहेगा। पूर्व विधायक गोपी गुर्जर ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अभी भी समझ जाएं अन्यथा साधु का सम्मान ना करने से उनकी सरकार उखड़ कर गिर सकती है व जन समुदाय का भारी रोष उनको झेलना होगा। वही बाल साध्वी दया ने सभा को संबोधित करते हुए खनन माफियाओं का साथ दे रहे लोगों को कालनेमि की संज्ञा देते हुए चेतावनी दी कि जो भी लोग ब्रज के धार्मिक पर्वतों का नाश करने में सहयोग दे रहे हैं उन सभी की रावण की भांति भयंकर अधोगति होगी। वहीं आज डीग बार एसोसिएशन ने ब्रज के पर्वतों को बचाने की इस मुहिम को अपना पूर्ण समर्थन देते हुए आश्वासन दिया कि बार एसोसिएशन के सभी अधिवक्ता हर समय इस आंदोलन में सहयोग करने के लिए तत्पर हैं। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील दत्त शुक्ला ने साथ ही यह भी घोषणा करी ब्रज के पर्वतों को बचाना केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि एक बड़ा वैधानिक कार्य भी है। उपस्थित जनसमुदाय को कई गणमान्य लोगों साधु संतों ने संबोधित किया जिसमें प्रमुख रूप से पूर्व विधायक मोतीलाल खरेरा, राष्ट्रीय यादव नेता महेंद्र सिंह यादव, महंत शिवराम दास, मान मंदिर के नरसिंह दास बाबा, मान मंदिर के सुनील सिंह, साध्वी मधुबनी कुलदीप बैसला, सरपंच सुल्तान सिंह आदि प्रमुख रहे ।