भारी वर्षा के बीच प्रारंभ हुई आंदोलनकारियों की भागवत कथा; कथा में आंदोनकारियों व ग्रामवासियों ने ब्रज के दोनों पर्वतों को बचाने के लिए हर संघर्ष की ली शपथ

जीवन में संकट व कष्टों का आना भगवान की कृपा ही मानना चाहिए- साध्वी गौरी

सरकार शीघ्र ही निर्णायक बैठक कर दोनों पर्वतों को संरक्षित करें अन्यथा इस बार आमरण अनशन के साथ-साथ कई लोग देंगे अपने प्राण – राधाकान्त शास्त्री

आज कनकाचल व आदिबद्री पर हो रहे विनाशकारी खनन के विरुद्ध जारी धरने के 228 वे दिन धरना स्थल पर आंदोलन को धार देने के लिए व जनमानस को ब्रजभूमि एवं व संस्कृति की रक्षा का संदेश देने के लिए धरना स्थल पर अनुष्ठानात्मक श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ प्रारम्भ हुआ। भारी वर्षा के बीच पसोपा ग्राम वासियों का उत्साह देखते ही नहीं बनता था । भारी वर्षा भी कृष्णभक्तों, पसोपा ग्रामवासियों व आंदोलनकारियों का उत्साह कम ना कर सकी एवं भारी संख्या में ग्रामवासी निरंतर हो रही भारी वर्षा के बीच नाम संकीर्तन के साथ कलश यात्रा संपन्न करते हुए कथा स्थल पर पहुंचे जहां बड़ी संख्या में ग्रामवासियों एवं आंदोलनकारियों ने कथा यज्ञ को प्रारंभ किया । कथा का दृश्य बिल्कुल ऐसा प्रतीत होता था जैसे सभी आंदोलनकारी व ग्रामवासी भगवान कृष्ण से ब्रज के दोनों आराध्य पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को अविलंब मुक्त कराने की गुहार कर रहे हो। आज संपन्न हुई कथा में साध्वी गौरी ने कठिनाई व संकटों को ही कृष्ण प्राप्ति का मार्ग बताते हुए भागवत से देवी कुंती का उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने श्री कृष्ण के वरदान मांगने पर दुख व संकट ही मांगें क्योंकि जब भी भक्तों पर कष्ट अथवा संकट आते हैं तब साक्षात कृष्ण स्वयं प्रकट होकर भक्तों के संकट और कष्टों को दूर करते हैं। साध्वी गौरी ने यह भी बताया कि पिछले 8 माह से चल रहे इस दिव्य आंदोलन की परिणिति होने ही वाली है और निश्चय ही भगवत कृपा से ब्रज के दोनों पर्वतों का संरक्षण अवश्यंभावी है। उन्होंने कहा कि पिछले 8 महीनों से पसोपा ग्राम के ग्रामवासी, बृजवासी व आंदोलनकारी ब्रज की संस्कृति व ब्रज की प्राणिक संपदा को बचाने के लिए जो तप कर रहे हैं वह निश्चित रूप से सफल होगी एवं श्री कृष्ण कृपा से ब्रज की सनातन संस्कृति व प्राचीन धरोहर अक्षुण रहेगी । इस अवसर पर महंत शिवराम दास ने भागवत का पूजन किया व कहा कि इस कथा के माध्यम से हम सरकार को संदेश देना चाहते है कि साधु संत कथा के साथ साथ क्रांति करके भी ब्रज के पर्वतों की रक्षा में समर्थ हैं। उन्होंने कहा कि हमें सरकार पर विश्वास है कि उनके वादा अनुसार वह अति शीघ्र निर्णायक बैठक कर दोनों पर्वतों को खनन मुक्त कर संरक्षित करेंगे । इसी आशा के साथ लाखो ब्रजवासी, साधु संत व विश्व भर के कृष्ण भक्त राजस्थान सरकार की ओर देख रहे हैं । उन्होंने अपील करी कि राजस्थान सरकार कथा समाप्ति से पूर्व आगामी 6 सितम्बर तक दोनों पर्वतों के संरक्षण के लिए अंतिम निर्णय लें जिससे यह कथा एक आंदोलन की जगह उत्सव के रूप में परिवर्तित की जा सके। वही राधा कांत शास्त्री ने सरकार को स्पष्ट शब्दों में संदेश दिया कि साधु संतों का काम तो कथा कीर्तन करना ही है और इसी माध्यम से हम लोग भगवान कृष्ण को राजस्थान सरकार को दोनों पर्वतों के संरक्षण की प्रार्थना करें लेकिन यदि शीघ्र ही निर्णायक बैठक कर दोनों पर्वतों का संरक्षण नहीं किया गया तब उग्र आंदोलन तो होगा ही व सैकड़ों साधु संत आमरण अनशन पर बैठेंगे लेकिन इस बार कई लोग ब्रज के दोनों पर्वतों के रक्षण के लिए अपने प्राण का भी त्याग करेंगे क्योंकि अब धैर्य के सभी बांध टूट चुके हैं । हम अभी भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अपना भरोसा व्यक्त करते हैं ।

कथा समाप्ति पर साध्वी मधुबनी ने भक्तमाल से भक्त रानी रत्नावती का चरित्र बताते हुए कहा कि भक्तों की पुकार व उनकी निश्चल प्रार्थना पर भगवान अवश्य ही उनकी रक्षा के लिए कोई ना कोई रूप लेकर आते हैं इसीलिए हमें विश्वास रखना चाहिए कि विगत 8 महीनों से जारी सभी साधु-संतों व ग्राम वासियों की तपस्या से फल स्वरुप भगवान निश्चित रूप से कोई रूप लेकर इस कार्य को सफल अवश्य करायेंगे। कथा के अंत में भगवान आदिबद्रीनाथ व श्रीमद् भागवत की महाआरती संपन्न हुई एवं साथ ही उपस्थित सभी आंदोनकारियों व ग्रामवासियों ने दोनों पर्वतों के रक्षण के हर संघर्ष के लिए तैयार रहने की शपथ खाई। आज क्रमिक अनशन पर विनीत दास, भूरा बाबा, चन्नी भगत, मौनी बाबा व देवी सिंह बैठे ।