बरसाना में ली 300 से अधिक लोगों ने आंदोलन की सक्रिय सदस्यता; संगठन की शक्ति से असंभव कार्य भी संभव हो सकते हैं – संत रमेश बाबा महाराज
ब्रज के पर्वतों के संरक्षण को लेकर समूचा संत समाज एकजुट- उमा पीठाधीश्वर रामदेवानंद सरस्वती
आज आदिबद्री व कनकाचल पर्वत को खनन मुक्त कराने के लिए जारी धरने के 209 वे दिन बरसाना में आंदोलन के सक्रिय सदस्यता अभियान के तहत आयोजित सामूहिक सदस्यता पद ग्रहण समारोह में 300 से अधिक ब्रज वासियों ने आंदोलन की सक्रिय सदस्यता ग्रहण करी । इस अवसर पर ब्रज के विरक्त संत रमेश बाबा महाराज ने कहा कि वेदों ने भी संगठन की शक्ति को सर्वोपरि बताया है । वेदों ने आज्ञा करी है कि ‘संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्’, संगठन की शक्ति असंभव कार्य को भी संभव कर सकती है। सभी भक्त अगर सच्चे अर्थों में संगठित होकर कार्य करें तो ब्रजभूमि को बड़ा अलौकिक रूप प्रदान किया जा सकता है। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय कथा प्रवक्ता रामजी लाल शास्त्री ने कहा कि ब्रज के पर्वतों के संरक्षण के लिए किया जा रहा यह आंदोलन इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाएगा । इससे ब्रजभूमि के सृजनात्मक विकास के दिशा में अनुपम कार्य होंगे और जो संगठन इस आंदोलन के माध्यम से निर्मित हो रहा है उससे पूरे ब्रज में अद्भुत कार्य संपादित किए जाएंगे । राधा कांत शास्त्री ने कहा की यह संगठन केवल ब्रज तक सीमित नहीं रहेगा अपितु यह संगठन एक वैश्विक रूप लेगा जिसमें विश्व भर के कृष्ण भक्त भी सक्रिय सदस्यता लेकर ब्रजभूमि के विकास में सहभागी बनेंगे ।
इधर आज पसोपा धरने पर दीनदयाल बाबा, विजय दास बाबा, गोविंद बाबा, हनुमान बाबा एवं नारायण दास बाबा क्रमिक अनशन पर बैठे। साथ ही आज सैकड़ों की संख्या में आस पास की गावों की महिलाओं ने सभी क्रमिक अनशन पर बैठे साधुओं की आरती उतारकर भगवान पशुपतिनाथ से दोनों पर्वतों की रक्षा की मनौती मांगी एवं प्रार्थना करी । इस अवसर पर कथा के माध्यम से संत बरसाना शरण ने भक्तों के संकल्प शक्ति के बारे में बताते हुए कहा कि अगर कोई सच्चा भगवत भक्त सतसंकल्प कर ले तो समूची प्रकृति को उसके आगे झुकना पड़ता है एवं उसके सत्कार्य को पूरा करने में हर संभव सहयोग देना पड़ता है । ऐसे ही साधु संतों की पर्वतों को बचाने के इस मुहिम में प्रकृति को झुकना ही पड़ेगा।
वहीं आज महंत शिवराम दास के नेतृत्व में आंदोलनकारियों का प्रतिनिधिमंडल वृंदावन व मथुरा के प्रमुख साधु संतों, महामंडलेश्वर एवं अखाड़ा प्रमुखों से मिलने के लिए निकला जहां सभी संतो ने पर्वतों के संरक्षण के लिए जारी इस आंदोलन में संपूर्ण रुप से एकजुटता दिखाइए । उमा पीठाधीश्वर रामदेवानंद सरस्वती ने कहा कि आदिबद्री व कनकाचल पर्वत को पूर्णतया संरक्षित कराने के लिए चल रहे इस आंदोलन में संपूर्ण संत समाज एकजुट है व सब राजस्थान के मुख्यमंत्री से अनुरोध करते हैं कि वे देशभर के साधुओं की मंशा को समझते हुए अविलंब दोनों पर्वतों को खनन मुक्त कर संरक्षित वन घोषित करें । प्रतिनिधिमंडल में हरि बोल बाबा, भूरा बाबा, संत ब्रजदास आदि ने चतु: संप्रदाय के महंत ब्रजबिहारी दास, हनुमान वाटिका के महामंडलेश्वर रामस्वरूप दास, चतु: संप्रदाय के अध्यक्ष फूलडोल बिहारी दास आदि से भेंटकर आंदोलन की आगामी रणनीति पर चर्चा करी।