आंदोलनकारियों के शिष्टमंडल की मुख्यमंत्री से विशिष्ट भेंट; ब्रज के धार्मिक पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को वनक्षेत्र घोषित कर खनन मुक्त करने का लिया सैद्धांतिक निर्णय; अति शीघ्र ही कनकाचल व आदिबद्री पर्वत को किया जायेगा वन क्षेत्र में घोषित
मुख्यमंत्री के निर्णय से संत समाज और ब्रजवासियों में खुशी की लहर
दोनों पर्वतों को वनक्षेत्र घोषित होने पर आयोजित की जाएगी विशाल जनसभा व सम्मान समारोह – राधाकान्त शास्त्री
आज कनकाचल व आदिबद्री पर्वत पर हो रहे विनाशकारी खनन के विरोध में जारी धरने के 260 वे दिन आंदोलनकारियों के शिष्टमंडल की बैठक मुख्यमंत्री कार्यालय में सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, राजस्थान विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी व अन्य प्रमुख लोगो के साथ सम्पन्न हुई जिसमें ब्रज के परम आराध्य पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को संरक्षित करने पर गंभीर चर्चा की गई। लंबी चर्चा के बाद दोनों पर्वतों के संरक्षण का मार्ग निश्चित किया गया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा ही भरतपुर के डीग व कामां तहसील में पढ़ रहे ब्रज के धार्मिक पर्वतों को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया गया था लेकिन उस समय तहसील अंतर होने की वजह से ब्रज के प्रमुख पर्वत कनकाचल व आदिबद्री का कुछ हिस्सा संरक्षित वन क्षेत्र होने से छूट गया था जिसके कारण वहां बहुत बड़ी मात्रा में खनन जारी है। इस खनन के चलते दोनों पर्वतों के अस्तित्व को बड़ा खतरा पैदा हो गया था व इसी को लेकर लंबे समय से साधु संत संघर्ष कर रहे है एवं विगत 260 दिनों से भरतपुर की तहसील डीग के ग्राम पसोपा में साधु संतों व ब्रजवासियों का धरना अनवरत जारी है। साथ ही विगत दोनों पर्वतों को खनन मुक्त कराने की मांग को लेकर 53 दिनों से साधु संत क्रमिक अनशन पर भी बैठे हुए हैं।
राजस्थान सरकार से कई स्तर की वार्ता होने के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रदीप माथुर व आदिबद्री के महंत शिवराम दास की अगुवाई में एक शिष्टमंडल मुख्यमंत्री कार्यालय में मुख्यमंत्री के वरिष्ठ सचिवों एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से मिला जिसमें ब्रज के दोनों प्रमुख पर्वतों को संरक्षित करने के विषय में गंभीर चर्चा की गई व लंबी चर्चा के बाद ब्रज के दोनों पर्वतों को सुरक्षित करने का मार्ग तय किया गया। इसके उपरांत शिष्टमंडल की बैठक मुख्यमंत्री आवास पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से संपन्न हुई जिसमें मुख्यमंत्री द्वारा दोनों पर्वतों को संरक्षित करने के निर्णय की घोषणा की गई। बैठक में शिष्टमंडल के सदस्यों के अलावा राजस्थान के मुख्य सचेतक महेश जोशी, खान व पशुपालन मंत्री प्रमोद भाया जैन, चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ सुभाष गर्ग, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका, भरतपुर के जिला अधिकारी हिमांशु गुप्ता, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जुबेर खान सम्मिलित रहे। शिष्टमंडल की अगुवाई कर रहे पूर्व विधायक प्रदीप माथुर ने बैठक में कहा कि ब्रज के साधु संत विगत 260 दिनों से ब्रज की संस्कृति व पौराणिक संपदा के रक्षण के लिए आंदोलनरत थे । इस बात को लेकर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी एवं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी कई बार चर्चा की गई जिसके परिणाम स्वरूप आज राजस्थान की मुख्यमंत्री के पहल पर सभी अधिकारियों के साथ दोनों पर्वतों को संरक्षित करने का मार्ग तय किया गया है । उन्होंने कहा की राजस्थान विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी, नगर विधायक वाजिब अली, आईएएस अधिकारी गौरव गोयल, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका, विशिष्ट सचिव आरती डोगरा एवं भरतपुर के जिलाधिकारी हिमांशु गुप्ता की इसमें बड़ी भूमिका रही है । उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की सरकार कुशल नेतृत्व के हाथ में है एवं हमेशा प्रकृति पर्यावरण व जनमानस के हितों के लिए कार्य करने के लिए तत्पर रहती है।
उन्होंने पूर्ण विश्वास दिलाया कि अति शीघ्र दोनों पर्वतों को वन क्षेत्र घोषित कर खनन मुक्त कर दिया जाएगा व इस बात के लिए मुख्यमंत्री द्वारा सैद्धांतिक निर्णय ले लिया गया है। इस अवसर पर उपस्थित शिष्टमंडल के साथ आए संरक्षण समिति के संरक्षक राधा कांत शास्त्री ने मुख्यमंत्री का आभार जताते हुए कहा कि देशभर का साधु समाज एवं विश्व भर की कृष्ण भक्त सदैव ब्रज की संस्कृति, पौराणिक संपदा एवं पर्वतों की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री को याद रखेंगे एवं उन्होंने यह पुनीत कार्य करके अपना नाम अमर किया है। उन्होंने कहा कि दोनों पर्वतों के वन क्षेत्र घोषित करने के निर्णय से पूरे ब्रज में उत्सव का माहौल है एवं शीघ्र ही एक बहुत बड़ी जनसभा आयोजित कर राजस्थान के यशस्वी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व साथ ही समस्त जनप्रतिनिधियों का ब्रजवासियों के द्वारा सम्मान किया जाएगा । वही शिष्टमंडल में आए राष्ट्रीय सलाहकार राधाप्रिय ने मुख्यमंत्री को पूर्ण आश्वस्त किया कि दोनों पर्वतों के संरक्षित होने के उपरांत राजस्थान में पढ़ रहे समूचे ब्रज क्षेत्र को विकसित एवं उसका संवर्धन करने के लिए उनकी संस्था सरकार के साथ हर संभव प्रयास करेगी व साथ ही इस वन क्षेत्र को व ब्रज के तीर्थ स्थलों को इकोलॉजिकल एवं धार्मिक पर्यटन से जोड़कर इसे एक विश्व स्तरीय पर्यटन का स्थल बनाने का पूर्ण प्रयास किया जाएगा जिससे यहां के लोगों को बड़ी मात्रा में रोजगार मिलेगा और साथ ही राज्य सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होगी। इस अवसर पर शिष्टमंडल में ब्रज के प्रसिद्ध संत नरसिंह दास बाबा, जयपुर के समाजसेवी चंद्रशेखर खुटेटा, आदिबद्री के महंत शिवराम दास, जड़खोर के भूरा बाबा, संत हरि बोल बाबा, मुकेश शर्मा उपस्थित रहे।