कल होगा संतो की पंचायत में निर्णय; तय की जाएगी आगे की रणनीति

कल के सक्रिय सदस्यता अभियान की तैयारी जोरों पर; 75 से अधिक गांवों के प्रमुख सक्रिय सदस्य सम्मिलित होंगे; सभी प्रमुख सदस्यों का होगा प्रशिक्षण

कल के कार्यकर्ता अधिवेशन व संत पंचायत की अध्यक्षता करेंगे विश्व प्रसिद्ध संत मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्रदास महाराज

हमने सरकार की भावनाओं का सम्मान किया, अब सरकार साधु-संतों के आग्रह को उदारता पूर्वक मानकर दोनों पर्वतों को संरक्षित करें अन्यथा फिर से विराट आमरण अनशन की है पूरी संभावना – मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज

आचार संहिता खत्म,अब आंदोलन संहिता लागू; सरकार ने नहीं लिया निर्णय तो अब भारी पड़ेगा संत समाज व ब्रजवासी – राधा कांत शास्त्री

आज कनकाचल व आदिबद्री पर्वत पर हो रहे विनाशकारी खनन के खिलाफ चल रहे धरने के 234 वे दिन धरना स्थल पर सभी महत्वपूर्ण पदाधिकारियों की बैठक हुई जिसमें कल होने वाली संतों की पंचायत व कार्यकर्ता अधिवेशन की तैयारी को अंतिम रूप दिया गया । इस बारे में बताते हुए संरक्षण समिति के संरक्षक राधाकांत शास्त्री ने कहा कि कल संतों की पंचायत बुलाई जा रही है जिसमें ब्रज के प्रमुख संत हिस्सा लेंगे व उन्हीं के ही निर्देश पर आंदोलन की आगे की रणनीति तय की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस पंचायत व कल संपन्न होने वाले सक्रिय कार्यकर्ता अधिवेशन की अध्यक्षता विश्व प्रसिद्ध संत मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्रदास जी महाराज करेंगे वह साथ ही बरसाना के विरक्त संत रमेश बाबा महाराज की भी आने की पूर्ण संभावना है। उन्होंने सरकार को कठोर संदेश देते हुए कहा कि सरकार अब जागे, आचार संहिता समाप्त हो चुकी और अगर अब भी संतों व ब्रजवासियों की मांग नहीं मानी तो अब लागू होगी आंदोलन संहिता एवं इस बार साधु-संत व बृजवासी सरकार पर बहुत भारी पड़ेंगे। वही आंदोलन के सक्रिय सदस्यता अभियान के संयोजक ब्रजकिशोर बाबा ने बताया कि कल के कार्यकर्ता अधिवेशन में 75 से अधिक गांवों के प्रमुख सक्रिय सदस्य व पदाधिकारी सम्मिलित होंगे जहां उन्हें आंदोलन की संपूर्ण जानकारी व ब्रजभूमि को किस प्रकार विकसित करना है इस विषय में साधु संत, क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व विशेषज्ञ उन्हें विशिष्ट प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। जड़खोर गोधाम में संपन्न हुई सत्याग्रहीयों के विशेष बैठक में सरकार को सबोधित करते हुए मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि सरकार साधु-संतों की भावनाओं का सम्मान करते हुए शीघ्र दोनों पर्वतों के रक्षण हेतु निर्णायक बैठक कर इनके संरक्षण व संवर्धन का मार्ग प्रशस्त करे अन्यथा सरकार की भावनाओं का सम्मान करते हुए आचार संहिता के समय साधु संतों द्वारा जो आमरण अनशन स्थगित किया गया था वह पुनः विराट रूप में प्रारंभ होगा । उन्होंने यह भी कहा कि साधु संत जब कोई बात उठाते हैं या सत्याग्रह करते हैं तो उसमें पूरे विश्व का हित होता है, इस बात को समझते हुए व आदर करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अविलंब साधु-संतों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उदारता दिखा कर विगत 234 दिनों से जो साधु संतों का धरना चल रहा है उसे गंभीरतापूर्वक ले व कनकाचल एवं आदिबद्री को खनन मुक्त कर संरक्षित वन घोषित करें। इस अवसर पर महंत शिवरामदास, हरि बोल बाबा, भूरा बाबा, सरपंच सुल्तान सिंह, चैतन्य बाबा आदि उपस्थित रहे।

इधर आज आंदोलन के तहत आयोजित भागवत कथा के छठे दिन भारी संख्या में ब्रज की महिलाओं ने बढ़-चढ़कर ब्रज के दोनों पर्वत आदिबद्री व कनकाचल को खनन मुक्त कराने की अंतिम लड़ाई में ब्रजवासियों व साधु संतों का हर कदम पर एवं हर प्रकार से सहयोग देने के लिए शपथ खाई व स्पष्ट किया कि अगर सरकार नहीं मानी तो इस बार ब्रज की महिलाएं सरकार को ब्रज की वीरांगनाओं की शक्ति से परिचय करवाएंगी । वही भागवत कथा के माध्यम से भगवान कृष्ण की लीलाओं का चिंतन व चर्चा करते हुए साध्वी गौरी ने कहा कि भगवान कृष्ण का अवतार पृथ्वी की प्रकृति, पर्यावरण की रक्षा एवं भक्तो पर अनुग्रह करने के लिए हुआ, उन्होंने अपनी समस्त लीलाओं से पर्यावरण व प्रकृति के संरक्षण व संवर्धन का ही संदेश दिया है, भले ही फिर वह कालिया नाग का मर्दन करके यमुना नदी को स्वच्छ करना हो, या फिर व्योमासुर को नष्ट कर पर्यावरण को शुद्ध करना होगा अथवा भौमासुर का नाश करके ब्रज के पर्वतों का संरक्षण करना हो, यह सब लीलाएं हमें प्रेरित करती हैं हम सब भगवान श्रीकृष्ण के संदेश को समझते हुए ब्रज की प्रकृति, पर्यावरण, पौराणिक संपदा, पर्वतों के संरक्षण व विकास के लिए सतत लगे रहे।

साथ ही पसोपा धरने पर 25 वें दिन भी क्रमिक अनशन जारी रहा।आज फिर से ब्रज की महिलाएं क्रमिक अनशन पर बैठी व सरकार को संदेश दिया कि इस आंदोलन में नारी शक्ति किसी भी कीमत पर पीछे नहीं है।
आज फूलवती, श्यामा, शांति, मंजू, रामवती क्रमिक अनशन पर बैठीं ।